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कोलेस्ट्रॉल अच्छा या बुरा?

नमस्कर दोस्तो,आज हम इस ब्लॉग मे कोलेस्ट्रॉल के बारे मे अध्ययन करेंगे। 


    समाचार पत्रो के द्वारा आये दिन हमे भोजन मे होने वाली उच्च वसा तथा उसकी कमियो के बारे में अवगत करवाया जाता है उच्च् वसा वाले आहार को उच्च कोलेस्ट्रॉल और अंततः दिल के दौरे से जोड़ा गया है। इसलिए, लोगों ने मांस और अंडे से बचना शुरू कर दिया है। लेकिन कोलेस्ट्रॉल बुरा नहीं है। हमारे शरीर की नसों को सुरक्षा प्रदान करने और नई कोशिकाओं एवं हार्मोन्स के निर्माण के लिए कोलेस्ट्रॉल की आवश्यकता होती है। यह हमारे लिये तब घातक सिद्ध होता है जब हम पिज्जा, बर्गर, आइस क्रीम, स्टेक या किसी भी मांसाहारी खाद्य पदार्थ का सेवन करते है। इसके अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल धमनियों की दीवारों के साथ बस जाता है और रक्त प्रवाह को प्रतिबंधित करते हुए, उन्हें रोक सकता है। यह एनजाइना, हार्ट अटैक या स्ट्रोक को जन्म देता है।यही नही उच्च कोलेस्ट्रॉल पित्त पथरी का भी कारण बन सकता है।
 


कोलेस्ट्रॉल के प्रकार-

कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार के होते हैं जिन्हें अच्छा कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) और खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) कहा जाता है।

➤1. लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल 

इस प्रकार के लिपोप्रोटीन में फैट की तुलना में प्रोटीन की मात्रा कम पाई है इसे खराब  कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है यह धमनियों को बंद कर देता है और कम होना चाहिए अगर शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो हदय सम्भान्धि बीमारिया होने का खतरा बढ़ जाता है। एलडीएल अगर की अधिकता से हार्ट अटैक,सीने में दर्द,स्ट्रोक या डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता ह। 

➤2.हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल  

इस प्रकार के लिपोप्रोटीन में फैट की तुलना में प्रोटीन की मात्रा अधिक पाई जाती है एचडीएल कोलेस्ट्रोल का हमारे हदय पर सुरक्षात्मक एवं फायदेमंद असर देखने को मिलता है और इस प्रकार का कोलेस्ट्रॉल अधिक हो तो हदय संबंधी बीमारियां होने का खतरा कम रहता है अतःएलडीएल कोलेस्ट्रॉल अधिक होना चाहिए।

इसलिए डॉक्टर धूम्रपान करने ,मांस, अंडे और डेयरी उत्पादों से युक्त उच्च वसा वाले आहार को कम करने और उससे बचने की सलाह देते हैं। 

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